अहंकार परछाई की तरह अंत तक साथ नहीं छोड़ता धन काहे का रूप का अहंकार शक्ति का इनकार प्रकट रूप में रहता है इनके अतिरिक्त भी एक विशेष प्रकार का इनकार होता है जो इतना सूक्ष्म होता है कि अदृश्य में रहकर आचरण में समा जाता है और अनुभव भी नहीं होता कुछ लोग सामान्य लोगों से अधिक धार्मिक होते हैं अन्य यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मैं प्रतिदिन कितने घंटे पूजा करता हूं मैं इतनी मालाएं फिर आता हूं मैं अमुक मंदिर में दान देता हूं मैं अनाथालय में दान देता हूं मैं निर्धनों को खाना खिलाता हूं आदि इत्यादि ©Ek villain #BahuBali अभिमान का त्याग