जग कि करनी देख कर मन मेरा जब भरमाया ।। एक लौ तेरी से मन कदो भटक न पाया।। जब-जब भटका राह गलत मैं तब-तब एहीं समझ तो आया।। "एकं नूर ते सब जग उपजया अव्वल अल्लाह नूर उपाया।।" वाहे-गुरू