टुकड़े करके माँ तेरे खुद की तकदीर बदलना चाहते है तेरे कुछ बिगड़े बच्चे माँ तेरी तस्वीर बदलना चाहते है अपना बस उनको तूने माना तेरा उनको कोई मोल नहीं माँ तेरे टुकड़ों पे पलने वाले तेरा ज़मीर बदलना चाहते है माँ अपनी निर्वस्त्र देख कर भीड़ जुटाना चाहते है माँ तुझको बेहाल देख कर जश्न मनाना चाहते है उनको शायद मालूम नहीं जो खालिस -पाकिस्तानी है। हम तेरी रक्षा खातिर माँ शीश चढ़ाना चाहते है ©Shasha Jain यूं तो हम अहिंसावादी है मगर जब बात माँ की रक्षा की हो तो शीशो की भेंट माँ के चरणों में चढ़ाना हमारी चाहत बन जाती है खालिस- पाकिस्तानी सावधान रहे जय हिन्द