अब नहीं उडती है गिल्लीयाँ, ना डंडे की चोट पर दूर जाती है, अब छुपते है लोग अपने-आप से, छुपन-छुपाई अब दोस्तों के साथ कहाँ, वो एक डंडे से साइकिल का पहिया को घुमाना, और उसके चलते दूर-दूर तक भागना, वो ठंड मे भी सुतम-सुताई खेलना, और बॉल पडते ही चिल्लाना, वो नाना-नानी के यहाँ राजा वाले ठाठ, जो चीज मागों वो मिल जाती, वो दादा-दादी के यहाँ हर कहानी में नया पाठ, पैसे इतने मिलते जैसे salary credit हो जाती, वैसे एेसा होता था अनमोल छुटपन, पर अब एेसा दूर-दूर तक नहीं, जैसा था पहले लोगो में लगाव-अपनापन, अब वो पहले वाली बात नहीं । #दूरदूरतक #पहलेवालीबातनहीं #yqdidi #collab #yqbaba #challenge #summerholidays #gaanvwalabachpan Open for collaboration and suggestions on this.