गले से लगाना हो तो आओ , तुम दुर , बहुत दुर होकर भी सीने में धड़कते हो ... मेरे पास कुछ देर ठहर जाना हो तो आओ , तुम दुर , बहुत दुर होकर भी हवाओ से गुजरते हो ... कब से मेरी दोनो हाथेलियों के बीच चांद ठहरा नहीं है , इन सांसो में समाना हो तो आओ , तुम दुर , बहुत दुर होकर भी मेरी आँखो में चमकते हो , मुझसे लिपट जाना हो तो आओ , तुम दुर , बड़ी दूर होकर भी बारिश की बुन्दो से मेरे बदन पर थिरकते हो... ©Monika Suman #ms #monikabijendra