एक लहज़े में लेहजा बदल गया वो सत्ता के रिंद को गुस्सा आ गया वो नशा सब काफूर हो गया जो एक सवाल उनसे पूछ लिया के बजाय जवाब के वो उलटे हमसे सवाल कर गया साकी से कहकर एक जाम हमे भी फ़रमाया गया जो देखा साकी को तो याद आया इसके खिलाफ था लड़वाया गया और एक लहज़े में सब हव्वा हो गया राही" साहिब-ए-मसनद