देखो मुझे समझो मुझे दूर बैठे कैसे जानोगे मुझे दो बात तुम कहो दो बात मैं कहूँ जान पहचान का सिलसिला जब बढ़ेगा तब समझोगे तुम मुझे पहचान सकोगे मेरे भीतर की स्त्री को जो चाहती है अपनापन करना चाहती है सर्वस्व समर्पण बशर्ते मिले उसे कोई सुनने वाला उसे समझने वाला उसको गहराई से जानने वाला जान सके उसके हृदय की कोमलता को उसमें छिपे ममत्व को प्यार को तलाशते मन को सम्मान दे उसके नारीत्व को स्थान दे अपने समकक्ष ही बढ़ाने दे उसको अपने साथ ही कदम हावी न होने दे अपने पुरुष अहं को समझे जो स्त्री और पुरुष की एकरूपता को देखो मुझे समझो मुझे दूर बैठे कैसे जानोगे मुझे....! मुनेश शर्मा (मेरे❤️✍️) देखो मुझे जानो मुझे समझो मुझे। #देखोमुझे #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi