Nojoto: Largest Storytelling Platform

बीच मझधार में फस गई जिंदगी, नाही पतवार न किनारे का

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।

हम बेचैन तो बस यूं ही हो रहे,
क्या कमी है  हमें यही ना पता।।
तुम हमारे ही हो हम यही जानते,
कब पराई हुई हमें यही न पता।।

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।

कब हर एक रात अमावस हो गई,
चांद के दीदार में ये पता ना चला।
हम तो खोए रहे उसी की याद में,
वो तो खोई रही इक नई याद में।।

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।

हम यूहीं रात भर जग कर सोचा करे,
कभी मन की तलप को रोका करे।।
जो मन को कभी छोड़ दे सोचने,
उठ उठ के  तो बस यूंही रोया करे।।

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।

जिंदगी इक नई कशमकश में है,
नहीं कह कुछ सके नहीं चुप रह सके।।
सोचता हूं तो मुझको ऐसा लगे,
इस कथानक में हम तो अनायास हैं।।

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।
                                      ✍️ आनन्द कुमार #मेरीरचना #बीचमझधार
बीच मझधार में फस गई जिंदगी,              ना ही पतवार ना किनारे का पता।।
बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।

हम बेचैन तो बस यूं ही हो रहे,
क्या कमी है  हमें यही ना पता।।
तुम हमारे ही हो हम यही जानते,
कब पराई हुई हमें यही न पता।।

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।

कब हर एक रात अमावस हो गई,
चांद के दीदार में ये पता ना चला।
हम तो खोए रहे उसी की याद में,
वो तो खोई रही इक नई याद में।।

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।

हम यूहीं रात भर जग कर सोचा करे,
कभी मन की तलप को रोका करे।।
जो मन को कभी छोड़ दे सोचने,
उठ उठ के  तो बस यूंही रोया करे।।

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।

जिंदगी इक नई कशमकश में है,
नहीं कह कुछ सके नहीं चुप रह सके।।
सोचता हूं तो मुझको ऐसा लगे,
इस कथानक में हम तो अनायास हैं।।

बीच मझधार में फस गई जिंदगी,
नाही पतवार न किनारे का पता।।
                                      ✍️ आनन्द कुमार #मेरीरचना #बीचमझधार
बीच मझधार में फस गई जिंदगी,              ना ही पतवार ना किनारे का पता।।
anandsingh7772

anand singh

New Creator