इसमें कोई संदेश नहीं है कि चुनाव के नाम पर एक छलावा मात्र था पहले पहल तो कांग्रेसका कोई भी दिक्कत अध्यक्ष बनने के लिए आगे नहीं आया और सभी यही प्रतीक्षा करते रहे कि प्रथम परिवार की ओर से किसका नाम का संकेत दिया जाएगा इसी दौरान सभी राहुल गांधी को गुहार लगाते रहे कि फिर से पार्टी की कमान संभालने लेकिन उनके इस मोना और के राहुल नहीं पसीजा क्योंकि वह तो उसके हिसाब से पार्टी को संचालित करना चाहते हैं जैसे अभी कर रहे हैं जिसमें जवाबदेही कोई नहीं होते लेकिन लगाम पूरी तरह अपने हाथ में रहती है मेरा हाल गहन मंथन के बाद राजनाथ मंत्री मुकेश का नाम सामने आया लेकिन जयपुर में हुए एक अप्रत्याशित दुर्घटना में उनकी संभावनाओं को पतीला लगा दिया हालांकि वे आरंभ से ही जयपुर की गद्दी छोड़ कर दिल्ली आने को तैयार नहीं थे इसके बाद तमाम काश आकाश और उपहार के बाद 80 वर्षीय मलिक अनुज खड़े दावेदार बनकर उभरे जिनके पीछे पूरी हो गई इसके शशि थरूर ने गांधी परिवार की ओर से कोई समर्थन नहीं मिला फिर भी उन्होंने पूरे पेशावर तरीके से चुनाव लड़ा मगर इस अभियान में कांग्रेसियों ने बीच में ही चुनाव कराएगी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में खड़क का स्वागत किया जाता है उनके साथ बेरुखी दिखाई जाती है ©Ek villain #Art #औपचारिकता का चुनाव