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तुम बिन स्याह लगती है, पूर्णिमा की रात भी चाँद ता

तुम बिन स्याह लगती है, 
पूर्णिमा की रात भी
चाँद तारे नहीं दिखते, 
आँखों में अश्क़ रहते हैं,
धूमिल सा तेरा चेहरा, 
सोंधी सी यादें, 
और एक टक ताकती आँखें
कितना सब्र संभाल पाएंगी, 
पलकों के गिरते ही टूट जाता है
गिले गाल रून्धा गला, 
भाव से भरे अश्रु,

©AshuAkela
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