वफ़ा "बाज़ार" में नहीं मिलती, रिश्तों को "निभाना" पड़ता है। इश्क़ जब "दस्तक़" दे सावधान रहो, भारी "क़ीमत" चुकाना पड़ता है। #शुभसँध्या #बज़्म_ए_इख़लास