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न तनहाई का डर है,न रुसवाई का डर है। मुझे सिर्फ तेर

न तनहाई का डर है,न रुसवाई का डर है।
मुझे सिर्फ तेरी जुदाई का डर है।

न बादल गरजने का,न बिजली चमकने का,
बे मौसम तुझ बिन मौसम-ए-हरजाई का डर है।

दिल के बदले अब जान मांगने लगे हैं लोग,
इस मोहब्बत के अब महंगाई का डर है।

कैसी गुलामी,कैसी मक्कारी मोहब्बत में,
दिल के बदले अश्कों की भरपाई का डर है।

कांटों पे भी चल सकते हैं हम तुम संग,
हाथ छूटने पे मुझे कांटों के चुभाई का डर है।

साथ है तू तो सारा जहाँ साथ है मेरे,
नहीं तो सारी दुनिया की बेवफ़ाई का डर है। न #तनहाई का डर है,न #रुसवाई का डर है।
मुझे सिर्फ तेरी #जुदाई का डर है।

न #बादल गरजने का,न #बिजली चमकने का,
बे मौसम तुझ बिन #मौसम-ए-हरजाई का डर है।

दिल के बदले अब #जान मांगने लगे हैं #लोग,
इस #मोहब्बत के अब महंगाई का डर है।
न तनहाई का डर है,न रुसवाई का डर है।
मुझे सिर्फ तेरी जुदाई का डर है।

न बादल गरजने का,न बिजली चमकने का,
बे मौसम तुझ बिन मौसम-ए-हरजाई का डर है।

दिल के बदले अब जान मांगने लगे हैं लोग,
इस मोहब्बत के अब महंगाई का डर है।

कैसी गुलामी,कैसी मक्कारी मोहब्बत में,
दिल के बदले अश्कों की भरपाई का डर है।

कांटों पे भी चल सकते हैं हम तुम संग,
हाथ छूटने पे मुझे कांटों के चुभाई का डर है।

साथ है तू तो सारा जहाँ साथ है मेरे,
नहीं तो सारी दुनिया की बेवफ़ाई का डर है। न #तनहाई का डर है,न #रुसवाई का डर है।
मुझे सिर्फ तेरी #जुदाई का डर है।

न #बादल गरजने का,न #बिजली चमकने का,
बे मौसम तुझ बिन #मौसम-ए-हरजाई का डर है।

दिल के बदले अब #जान मांगने लगे हैं #लोग,
इस #मोहब्बत के अब महंगाई का डर है।