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कितनी खुशनुमा होती है बीते पलों की यादें,वो गुजरा

कितनी खुशनुमा होती है बीते पलों की यादें,वो गुजरा बचपन अल्हड़ सा यौवन,, मुस्कुराते लोग,सफर में मिल जाते ,कुछ अजनबी एहसास जगा जाते ,,कुछ अपना दर्द बयां कर पाते और ,कुछ होठों पे ही सिले होते ,न जाने सफर में कितने अजनबी अपनेपन का एहसास जगाकर अपनों की फेहरिस्त में आ गये ,अब तो दुआएं मांगती हुं उन अपनों के लिए जो कुछ न होकर भी बहुत कुछ हैं, विचारों से जो साथ हो हर कदम पर जो आपके साथ हो उन सब का शुक्रिया अदा न करना  एहसान फरामोशी होगी ,इतने गैर तो नहीं,हम,उन सब गुजरती राहों की मुरीद हुं मैं जिसने रास्ते के पत्थर को हटा दिया ठोकर नहीं लगने दी ,उन सब का दिल से आभार जो हमेशा मेरे अपनों की फेहरिस्त में शामिल हैं हल पल अपनी दुआओं में उन सबकी खैरियत मांगती हुं ,अपनों से ही तो नसीहत मांगती हूं ।
ऐ पढ़नेवाले मेरे अजीज आपकी शुक्रगुजार हुं मैं 
कर्तव्य है ये मेरा आप सबसे ही तो गुलजार है जीवन
खुशियां है तो खुशनुमा एहसास हैं 
बहार है तो आपसब की मौजूदगी से 
नज्म है तो आपसब के नूर से 
 ये कायनात है तो आपसब से।
।शुक्रिया ।

©Aditi Chouhan
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