मुकम्मल कहांँ हुई किसी की ज़िंदगी यहांँ पर इंसान खोता ही रहा कुछ पाने के लिए कुछ अधूरे ख़्वाब और अधूरी पूरी ज़िंदगी ना मुकम्मल हुई मुकम्मल कुछ भी नहीं होता कुछ ख़्वाब अधूरे ही अच्छे लगते ख़्वाब अगर सारे मुकम्मल होते तो शायद हम दोनों साथ होते मुकम्मल हमारा इश्क़ ना हुआ तो क्या हमारी अधूरी कहानी तो है हम साथ नहीं तो क्या मेरा इश्क़ तुम से तुम तक कोशिश के बाद भी मुकम्मल ना हुआ अधूरा प्यार अधूरी चाहत मुकम्मल तो बस वक्त और हालात।। ♥️ Challenge-711 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।