हम कुछ कर गुजरने को वज़ह क्यूँ चाहते हैं कुछ कर गुजरने को जुनूँ क्यूँ नहीं पालते हैं इश्क की चोट जरूरी नहीं कुछ पाने को लोगों की खोट उलाहने हीं काफ़ी हैं कुछ कर गुजरने की जिद बनाने को इक पल को हौसले पस्त ज़रूर होंगे पर उसी वक्त सम्हालने होंगे हमें अपने गिरते लड़खड़ाते कदम को लक्ष्य तक पहुँचाने में रा_one@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ target