नेता बनाने की पंक्ति । तुम भी देखो ज़रा , क्या हवा चल रही । है धुंआ तो कहि , आग भी जल रही । दुश्मनो से ये कह दो , की ठहरे ज़रा । इंसा मुझमे अभी ,जी रहा है कहि । हद को टुडू मरोडू , इंसान की । मुझमे राछस अभी जन ,रहा है कोई । फिर दिखाऊँगा ,धर्मो की पैरवी । फिर चलूँगा डगर , राछसो के तभी । मुझको उत्पात में , फिर मज़ा आएगा । हर ज्ञानी भी ,तलवो पे झुक जाएगा । ठोकरों पर रहेगी , अदालत सभी । तब कहि नेता , मैं कहलाऊँगा । #वर्तमान में नेता बनने की सामग्री