ज़िद्दी बचपन वो अपने हिस्से की रोटी मुझे खिलाती रही, वो खुद आँसू पीकर मुझे दूध पिलाती रही खुद जागकर अपने आँचल में मुझे सुलाती रही मैं ज़िद करता महंगे खिलौनों की वो कंगन बेचकर खिलौने दिलाती रही आज खफा हूँ उस ज़िद्दी बचपन से #KaviKumarAshok #tour #nojoto #tour #kavikumarashok #poetofvaranasi #indore #hindipoem #mother #love #childhood #poem #LoveYouMom