कितनी बार कहा तुमसे, यूँ सताया न करो। आँख़ों के रास्ते , दिल मे समाया न करो। गुमराह हो जाते हैं, बीमारे-इश्क़ बेचारे, बे-बात इस तरह, मुस्कराया न करो। ज़माना बड़ा संगदिल है, समझते क्यों नहीं, बे-मतलब इधर उधर, आया- जाया न करो। दर्दो-ग़म भी मोहब्बत का, सरमाया होते हैं, शबे-फुरक़त मे यूँ आँसू, बहाया न करो। साक़ी ने महफिल ,"फिराक़", सजा रक्खी है, तुम यूँ मुफ्त मे जामे-हुश्न, पिलाया न करो। कितनी बार कहा तुमसे, लेकिन तुम हो कि... #कितनीबारकहा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi