कुछ ज़ज्बात बस आँखों मे रह जाते है, कुछ सुखे गुलाब किताबों में रह जाते है। कुछ कर लेते है हालातों से समझौता, कुछ मोड़ पर खड़े के खड़े रह जाते है। कुछ नदी बनकर ढूढ़ लेते है किनारा, कुछ दरिया बनकर अधूरे रह जाते है। कुछ शमा बनकर मिटा लेते है वजूद अपना, कुछ पत्थर पर पड़े निशान बनकर रह जाते है। 🎀 Challenge-429 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 पिन पोस्ट 📌 पर दिए गए नियमों एवं निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 कोरा काग़ज़ समूह की पोस्ट नोटिफ़िकेशन्स ज़रूर 🔔 ON रखिए। जिससे आपको कोरा काग़ज़ पर होने वाली प्रतियोगिताओं की जानकारी मिलती रहे। 🎀 कोरा काग़ज़ पर प्रतिदिन दोपहर 3 बजे "मस्ती की पाठशाला" होती है और शाम 5 बजे "उर्दू की पाठशाला" होती है। आना न भूलना।