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मोहब्बत थी,तेरी कशिश थी...सब ढल गया फिर भी मोहब्बत

मोहब्बत थी,तेरी कशिश थी...सब ढल गया फिर भी मोहब्बत ये थी..!!यही तो सच्ची थी...तन की ख्वाइश न थी मगर हां प्यार से तेरे मुझे छूने की आस तो थी,हाथ में हाथ देकर सिर को मेरे सीने पर रखने की आस तो थी..!!क्या ये फकत तन को पाने की जद्दोजहद थी या मन से जुड़ने का जतन थी...!
एक छोटी सी आस थी...
...आस ही रही...!!
✍️✍️मुर्तजा

©Murtaza Ali
  #फिसलते वक्त की आस
murtazaali5876

Murtaza Ali

New Creator

#फिसलते वक्त की आस #Love

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