Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो शाम की जाम, वो तन्हाइयों का सफर, थोड़ा प्यार भर

वो शाम की जाम, वो तन्हाइयों का सफर,
थोड़ा प्यार भरा किस्सा और किलो भरा याराना
समुंद्र के किनारे लहराते हुई यादों का पिटारा
ऊची पहाड़ियों से चीखता हुआ
किस्सा हमारा
लौट आने दो उन दिनों को
लौट आने दो उस बचपने को
ठक गए है दौड़ते इस भीड़ में
जीने का दिशा नहीं, बस ठहरने की कोई वजह दे जाओ
मुकमल-ऐ-मंजिल का शौक नहीं
बस सफर-ए-राहगीर बन जाओ

©erakash21
  #वो_शाम