पानीं नें कहा घड़े से, तुझे मुझे अपनें भीतर है समाता, और तू मुझे शीतल भी है बनाता, पर धीरे-धीरे तुझसे जुदा होंनें से मन है मेरा घबराता, न जानें क्यों हमारा रिश्ता है ऐसा, प्यास जो बुझाता है सबकी वही रह जाता है प्यासा, मैं सबकी हूँ प्यास बुझाती, पर मैं हीं हूँ प्यासी रह जाती, घड़े नें पानीं से कहा, जब तू घंटों रहकर भीतर मेरे शीतलता है पाती, प्यास तेरी मेरी तभी हीं है बुझ जाती, और ये तो है नियम प्रकृति का कुआँ अपनीं प्यास है नहीं कभी बुझाता, पानीं नें कहा घड़े से, तू मुझे अपनें भीतर है समाता, और तू मुझे शीतल भी है बनाता, पर धीरे-धीरे तुझसे जुदा होंने से मन है मेरा घबराता #कविमनीष #NojotoQuote #कविमनीष