रूत है आसमां है और जिगर मेरा हथियार, मैंदां-ऐ-गुस्ताख में गुजेंगा, हर वक्त इंकलाब जिन्दाबाद, जब तक तू बैठा है दिल में वो सरदार....!! -Sp"रूपचन्द्र" ©Sp"रूपचन्द्र"✍ #भगतसिंहजी