बहारों में ऐसी फ़ज़ा आ गयी है। ज़िन्दगी में जैसे क़ज़ा आ गयी है।। इंसानियत पे इतनी ज़्यादती हुई के। क़हर की शक़्ल में वबा आ गयी है।। ✍️क़ाज़ी अज़मत कमाल #कज़ा