वो लाखों में एक है, और उसे होना ही था, क्यूँकि गर सागर हुँ मैं वो मेरी लहर है, गर मै किनारा हुँ मौज का वो मेरी रेत है, गर मै सुबह हुँ वो मेरी ताजगी है, गर मैं आशिक हुँ वो मेरी आशिकी है, इसलिए वो लाखों में एक है।। #अंकित सारस्वत# #लाखों में एक