खुशियाँ कितनी उदासी रहती मेरे पास आकर गम बड़े खुश रहें आज कल मेरे पास आकर कमीं है मुझमे तुम भी हिस्सेदार रहे हो अब जुड़ने का मन नही होता थक चुका हूं टुकड़े कई बार होकर #गुरप्रीत_सिंह_कंगढ़ Dipak Maurya Shayar