मन मे उठते तूफानो को , आशा और विश्वास के संबल से संभाला है जहा टूट कर बिखर सकते थे आंखो के सागर झलक सकते थे मुस्कुराहट के आंचल ने नभ को समेटा है... बस यही बसेरा है... ©Yogita Harne बसेरा है