उम्मीदों के दीप बुझाकर, घोर अंधेरे में खो जाना, इतना भी आसान नहीं हैं, पल भर में पत्थर हो जाना| *** प्रेम रंग जो रोम-रोम है, उस रंगत का फीका हो जाना, इतना भी आसान नहीं हैं, पल भर में पत्थर हो जाना| *** यादों को सिरहाने रखकर, करवट लेकर के सो जाना, इतना भी आसान नहीं हैं, पल भर में पत्थर हो जाना| *** अश्कों को आँखों में छिपाकर लोगों के सम्मुख मुस्काना, इतना भी आसान नहीं हैं, पल भर में पत्थर हो जाना| *** दिल से कोई नाम मिटाकर, खुद गुमनामी में खो जाना, इतना भी आसान नहीं हैं, पल भर में पत्थर हो जाना| *** जज्बातों को सीने में दबाकर, हालातों का बोझ उठाना, इतना भी आसान नहीं हैं, पल भर में पत्थर हो जाना| *** एक चेहरा कभी मन का दर्पण था, उसे अंजान बता मन को समझाना, इतना भी आसान नहीं हैं, पल भर में पत्थर हो जाना|