Raavan इस कलियुग का राजसी वस्त्र नहीं हैं l परंतु, कुटिलता, छल, घूरती आँखें, चौक पर, भीड़ में हजारों सिरों के साथ खड़ा रहता हुँ l सुनसान गली में, रात के अंधेरे में हजारों सिरों के साथ रहता हुँ l नशे की लत है l मैं रावण हुँ l मैं उस रावण से भी ज्यादा खूंखार हुँ l मैं हर गली, मुहल्ले में रहता हुँ l मैं रावण हुँ l