इज़हार-ए-इश्क़ (ग़ज़ल) इज़हार-ए-इश्क़ कुछ इस तरह बयां करूं में, के तू चाह कर भी मेरे इज़हार को ठुकरा ना पाओ। ले जाएंगे तुझे दुनिया से दूर जहाँ सिर्फ हो हम और तुम, और गुलाब देकर करेंगे अपने प्यार की पेशकश के तुम ना ही ना बोल पाओ। हाथों में तेरा हाथ लेकर देंगे तुझे एक अटूट वादा के, तुम कभी मेरी जिंदगी बनने के लिए इन्कार ना कर पाओ। इज़हार-ए-इश्क़ करके तेरे दिल में यूंँ बस जाएंगे, के तु चाह कर भी कभी मुझसे दूर ना रह पाए। इज़हार-ए-इश्क़ से जुड़ जाएगा हमारे बीच एक ऐसा रिश्ता के, चाह कर भी दुनिया वाले हमारे विश्वास को कभी तोड़ ना पाए। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-4 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #kkpc26 #विशेषप्रतियोगिता