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➖ हँसी का राज़ ➖ अपने ऊपर आने वाली मुसीबतो

➖    हँसी का राज़    ➖


अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं,
घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं।

मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर,
अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं,

मेरे साथ ख़ुदा है सोच कर ऐ मुईज़,
हँसी में सब कुछ टाल देता हूँ मैं।

- काज़ी मुईज़ हाशमी ➖    हँसी का राज़    ➖


अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं,
घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं।

मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर,
अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं,
➖    हँसी का राज़    ➖


अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं,
घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं।

मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर,
अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं,

मेरे साथ ख़ुदा है सोच कर ऐ मुईज़,
हँसी में सब कुछ टाल देता हूँ मैं।

- काज़ी मुईज़ हाशमी ➖    हँसी का राज़    ➖


अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं,
घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं।

मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर,
अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं,