बचपन और खिलौना सोचा था, बड़े हो जाऊँगा तो खिलौना निकाल कर देखूँगा क्या वो भी मेरी तरह बड़ा हुआ? या बदला वक़्त के चलते? मेरा बचपन शायद फिर से ज़िंदा हो जाता उस खिलौने से जो दफ़्न कर दिया था मिट्टी में आज याद नहीं उस खिलौने का कब्रिस्तान कहाँ है? हर रोज़ स्कूल से वापस आते वक़्त उस मैदान की ओर देख कर मुस्कुराता था ऐसा लगता था कोई नगीना छुपा कर रखा हो आज मेरी बैचैनी देख कर लोग कहते हैं क्या हुआ? कोई नगीना खो गया क्या? ऐसा लगता हैं मानो याददाश्त भी खिलौने संग दफना दी मिट्टी में मैने आज याद नहीं उस खिलौने का कब्रिस्तान कहाँ है? #Bachpan #Khilauna #Shayari #Quotes #Life #Poetry