' पद ' 1. जिंदगी के दौड़ मे बचपन से दौड़ना सिखते सिखते 2. जिंदगी के दौड़ मे जवानी को जीना सिखते सिखते 3. जिंदगी के दौड़ मे अपनो को सही राह पर चलना सिखाते सिखाते 4. जिंदगी के दौड़ मे बूढ़ापे से मजबूर कमजोर दिनों को हरा कर जीना सिखते सिखते फिर भी एक जिवन का मोड़ आता है जहा पद-3 के भागीदारों को पद-1 से जो दौड़ना सिखकर पद-3 को भी चलना सिखाकर आज अपने कमजोर मजबूर बूढ़ापे में भी चहरे पे मुस्कुराहट के साथ दिल मे दर्द लेते हुए जिना सिखता है पर वो पद-3 के लीएे कही जिंदगी के इस दौड़ मे बोझ सा लगता है ( आगे शब्द ?) पद-3 कहीं आपके जिवन मे भी ये मोड़ आएगा ? पद-4 " कहीं अपके जिवन मे भी ये पल आएगा " " पद-4 " . . . . .