इक तो चिकना घड़ा ऊपर से उल्टा धरा न वो भर पावै न ही वो प्यास बुझावै। ऐसे ही प्राणी मन कागा तेरे का हाल है गुरु शब्द माने नहीं फिर पार कैसे पावै। उल्टा घड़ा