जीना था, आगे बढ़ना था. इन मुश्किलों से यू न डरना था.. जज़्बात जो ना समझ पाया.. आखिर क्यों.. उसके लिए जिन्दगी को दांव पर लगाया माना मुश्किल तेरी बड़ी थी पर इतना भी क्यों तू डरी थी एक तरफा इश्क में.. अपनो के साथ तो खड़ी थी ये नही कहती,तू गलत थी मानती हूं, मौत..तेरे लिए जीवन से सरल थी जिसके लिए तेरे आंसू की कीमत ना थी उसके लिए तेरे दिल में इतनी तड़प थी.. एक बार आगे बडकर तो देखती जिंदगी से लड़कर तो देखती अपनी के लिए जीकर तो देखती मौत.. मुश्किलों का हल नहीं होता चले जाते हैं हम तो छोड़कर मगर मां बाप का गम कम नहीं होता जिंदगी की सूरत एक नहीं होती हर शक्श की नियत नेक नहीं होती.. ©Neha Bhargava (karishma) #आयशा