मीठा बोलता हूं मैं , खींर मत समझ लेना दर्द सुनता हूं औरों की,पीर तुम समझ लेना मेरे इश्क के चर्चे रहते हैं ,अक्सर सुर्ख़ियों में प्यार को मेरे कभी, कश्मीर मत समझ लेना। कवि मुन्ना कुमार "अजनबी"