हम तो बचपन में भी अकेले थे सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे एक तरफ़ मोर्चे थे पलकों के एक तरफ़ आँसूओं के रेले थे ख़ुदकुशी क्या ग़मों का हल बनती मौत के अपने भी सौ झमेले थे Javed Akhtar ©Varun Vashisth #aajkegalib