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एक शक्ति समाई है मेरे भितर साया की तरह चलता जाती म

एक शक्ति समाई है मेरे भितर
साया की तरह चलता जाती मे जीधर
नही जानती क्या कहु उसे अल्ला या ईश्वर
जब भी प्रसन करती देता मुझे वो उत्तर
एक शक्ती है जो समाई मेरे भीतर
हो सकती है कोई माया या हो सकते मेरे गिरिधर
जब भी दुविधा मै पड़ती देते मुझे वो स्वर
नही जानती है ये कोई भृम या मुझमे समाये है मेरे लिलाधर्
प्रतीत होता एक शक्ति है मेरे भितर

©Anwesha Rath
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