White तृप्ति की कलम से एक दोहा ********************** जीवन एक समुद्र है, साँसे हैं पतवार। नौका बनते कर्म हैं, जीवन है मझधार।। ***************************** स्वरचित तृप्ति अग्निहोत्री लखीमपुर खीरी ©tripti agnihotri दोहा