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कई रातें जाग कर बिताई है, अब हमेशा के लिए सो चुका

कई रातें जाग कर बिताई है, अब हमेशा के लिए सो चुका हूं।
पाया तो बहुत कुछ है, पर बहुत कुछ खो चुका हूँ।।
आदि अंत से दूर हुआ, न कोई कामना पास रही।
जो रहे अधूरे सपने अब न उनकी कोई आस रही।।
न कोई अंत सब है अनंत, अब सीमित रही न राह मेरी।
सब भंग हुए मेरे सपने, कुछ कर जाने की चाह मेरी।।
जो दूर से गाली देते थे, अब साथ बैठ के रोते है।
मानो मैं उनका सब कुछ था, आपा ऐसे सब खोते हैं।।
सब बीत गया धीरे धीरे, मानो सब कुछ बस पल भर था।
अनंत खुशियों का था प्रभात, तो केवल मुझ तक कल भर था।।
जब तक जीवन एक बोझ लगा, सोचा खुद से ही मर जाउँ।
हर तरफ दर्द का शोर यहाँ, फिर लौट के क्यों मैं घर जाउँ।।
कोशिशें थी सारी विफ़ल हुई, जब सोचा तब मैं नही मरा।
जब जीने की इच्छा बढ़ी मेरी, यमराज ने आकर प्राण हरा।।
आज़ाद हूँ सबसे शायद अब, जो दुनिया के जंजाल सभी।
बस साथ यही तक था मेरा, इस जीवन का अंतराल यही।।

                           --------------  चक्रधार

©Central Bureau LUCKNOW chakra

#2021Wishes
कई रातें जाग कर बिताई है, अब हमेशा के लिए सो चुका हूं।
पाया तो बहुत कुछ है, पर बहुत कुछ खो चुका हूँ।।
आदि अंत से दूर हुआ, न कोई कामना पास रही।
जो रहे अधूरे सपने अब न उनकी कोई आस रही।।
न कोई अंत सब है अनंत, अब सीमित रही न राह मेरी।
सब भंग हुए मेरे सपने, कुछ कर जाने की चाह मेरी।।
जो दूर से गाली देते थे, अब साथ बैठ के रोते है।
मानो मैं उनका सब कुछ था, आपा ऐसे सब खोते हैं।।
सब बीत गया धीरे धीरे, मानो सब कुछ बस पल भर था।
अनंत खुशियों का था प्रभात, तो केवल मुझ तक कल भर था।।
जब तक जीवन एक बोझ लगा, सोचा खुद से ही मर जाउँ।
हर तरफ दर्द का शोर यहाँ, फिर लौट के क्यों मैं घर जाउँ।।
कोशिशें थी सारी विफ़ल हुई, जब सोचा तब मैं नही मरा।
जब जीने की इच्छा बढ़ी मेरी, यमराज ने आकर प्राण हरा।।
आज़ाद हूँ सबसे शायद अब, जो दुनिया के जंजाल सभी।
बस साथ यही तक था मेरा, इस जीवन का अंतराल यही।।

                           --------------  चक्रधार

©Central Bureau LUCKNOW chakra

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