हमसे दूर जाओगे कैसे, जिन ऊंचाइयों से देखने में भी लोग घबराते हैं, उन ऊंचाइयों को ये खेल बना लेते हैं, ऊँची इमारतें तो... सभी का ध्यान खींचती है, उन इमारतों को ये सजाते है, यह जो चार बिंदी दिख रहे हैं, जरा गौर से देखिए हुजूर चार बिंदी नहीं कलाकार है, जो इन इमारतों को सवारते हैं, ये वे लोग हैं... जो एक एक पैसे के लिए... हर पल जान की बाजी लगाते हैं, तब जाकर कहीं चंद पैसे जोड़ पाते हैं, स्वाभिमान है इनका जो खुद कमा कर खाते हैं, कड़ी धूप हो या हो बरसात काम पर जरूर जाते हैं, मैं तो यूं ही गुजर रहा था यहाँ से, देख इनको ठहर गया, ली खूबसूरत तस्वीर और फिर यह कविता बन गया। जिन #ऊंचाइयों से देखने में भी लोग घबराते हैं, उन ऊंचाइयों को ये #खेल बना लेते हैं, ऊँची इमारतें तो सभी का #ध्यान खींचती है, उन इमारतों को ये #सजाते है, यह जो चार #बिंदी दिख रहे हैं, जरा गौर से देखिए #हुजूर चार बिंदी नहीं #कलाकार है, जो इन इमारतों को #सवारते हैं,