दृग युगल का गेह था भींगा पड़ा नव जलद सा नेह भी रूठा रहा, लसित लोचन कज्जलित होकर मलिन व्यथित चित का बोध भी रीता रहा। चिंता-विजित चित कहां होगा मेरा विपुल जल में है विटप सूखा पड़ा।। ©Sj..✍ #शुभाक्षरी #Nojoto_hidi #hindi_sahitya