मुझ को भी शौक़ था नए चेहरों की दीद का रस्ता बदल के चलने की आदत उसे भी थी मुझ से बिछड़ के शहर में घुल-मिल गया वो शख़्स हालाँकि शहर-भर से अदावत उसे भी थी सुनता था वो भी सब से पुरानी कहानियाँ शायद रफ़ाक़तों की ज़रूरत उसे भी थी तन्हा हुआ सफ़र में तो मुझ पे खुला ये भेद साए से प्यार धूप से नफ़रत उसे भी थी 'मोहसिन' मैं उस से कह न सका यूँ भी हाल दिल दरपेश एक ताज़ा मुसीबत उसे भी थी - मोहसिन नकवी ( # मेरी तरह किसी से मोहब्बत उसे भी थी)... *दीद- देखना ( seeing), अदावत- enmity, hatred रफाकत- दोस्त लोग