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"मेरी पोटली" "कृपया कहानी का पहला अंश अनुशीर्षक

"मेरी पोटली"

"कृपया कहानी 
का पहला अंश
अनुशीर्षक में पढ़ें"
 सादर प्रणाम, सुप्रभात,
यह  कहानी का प्रथम अंश है, 
मेरी पोटली कहानी के आगे के भाग पढ़ने के लिए #मेरी_पोटली_कहानी पर जाएं।
कहानी बहुत अच्छी तो नहीं है पर मेरा कहानी लेखन में पहला प्रयास है, इस कारण डर और झिझक मिटाने में एक साल लग गया इस कहानी को पोस्ट करने में, जहां भी सुधार की आवश्यकता हो अवश्य बताएं।


कहानी है एक ऐसे गाॅंव की जिसने ज़मीन और पैसों के लालच में हरियाली पेड़-पौधों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। गाॅंव में दूर-दूर तक सपाट मैदान ही नज़र आने लगे। लोगों ने अपने मन में लालच का ऐसा बीज बोया था कि उन्हें प्रकृति की कोई चिंता ही नहीं थी। गाॅंव वालों के लालच ने न केवल पेड़ों पर बल्कि अपने पैरों पर भी कुल्हाड़ी चला ली थी, और देखते ही देखते आने वाली पीढ़ी के लिए मृत्यु का द्वार खोल दिया था।
"मेरी पोटली"

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यह  कहानी का प्रथम अंश है, 
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कहानी बहुत अच्छी तो नहीं है पर मेरा कहानी लेखन में पहला प्रयास है, इस कारण डर और झिझक मिटाने में एक साल लग गया इस कहानी को पोस्ट करने में, जहां भी सुधार की आवश्यकता हो अवश्य बताएं।


कहानी है एक ऐसे गाॅंव की जिसने ज़मीन और पैसों के लालच में हरियाली पेड़-पौधों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। गाॅंव में दूर-दूर तक सपाट मैदान ही नज़र आने लगे। लोगों ने अपने मन में लालच का ऐसा बीज बोया था कि उन्हें प्रकृति की कोई चिंता ही नहीं थी। गाॅंव वालों के लालच ने न केवल पेड़ों पर बल्कि अपने पैरों पर भी कुल्हाड़ी चला ली थी, और देखते ही देखते आने वाली पीढ़ी के लिए मृत्यु का द्वार खोल दिया था।