बज़्म-ए-ख़याल में तिरे, बुझा दिया क़मर की रोशनी को, तेरी गैर मौजूदगी में भी, तिरे हुस्न की चमक बहुत थी! बज़्म-ए-ख़याल में तिरे, बुझा दिया #क़मर की रोशनी को, तेरी गैर #मौजूदगी में भी, तिरे हुस्न की चमक बहुत थी! #kumaarsthought #kumaaronlove #चाँद - क़मर. ~चाँद /Moon