कैसी दुनिया कैसा किस्सा ये हैं आने जाने लोग कितना ही तो अर्थ घोलते खुद से हैं अनजाने लोग रातों को रोने की आवाजे मूक दबी रहती हैं सुबक सुबक के लिखते हैं कैसे ये अफसाने लोग #shamesukhan