मेरा प्यार सिर्फ "ख्यालो" तक (Articel read in the caption) 👇 मेरा प्यार सिर्फ "ख्यालो" तक °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° अक्सर दुनिया का रुख सोशल मीडिया एक श्राप है की ओर झुकता नजर आता है मगर ये भी सच है कि सोशल मीडिया हर व्यक्ति की निजी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है इसलिए श्राप जैसा कुछ भी कहना अनर्गल ही मानता हूं ! हालांकि मैं तो इसे खुदा भी कहूँ तो बुरा नही है जिसने मुझे उससे रूबरू करवाया जो मेरी कल्पनाओं को खूबसूरत रूप देती है,मेरे ख्यालो को मनोरम बनाती है और बेशक मेरी ज़िंदगी को आनन्दमय !! मैने जब भी उसे पहली बार फेसबुक पर देखा तो उसका व्यक्तित्व मुझे काफी स्ट्रिक्ट प्रतीत हुआ,यहां तक कि मुझे भी डांट पड़ी थी !