कहानी का आगाज तो कर दिया पर अंजाम क्या है पता नहीं रास्ते तो तय कर लिए हैं पर मंज़िल क्या है पता नहीं यू निकल पड़ा हूं मुसाफिर होता इस जिंदगी के जंगल में भीड़ बहुत है अपना कौन है पता नहीं मंज़िल क्या है पता नहीं