उसका मुख इक जोत है घुंघट है संसार घुंघट में वह छिप गया मुख पर आंचल डार उनको मुख दिखलाए है जिनसे उसकी प्रीत उनको ही मिलता है वो जो उसके हैं मीत मुंह दिखलावे और छुपे छल बल है जगदीश पास रहे हरि ना मिले तिसको बीसवें बीस ।।साईं बुल्लेशाह जी।। उसका मुख इक जोत है घुंघट है संसार घूंघट में वो छिप गया मुख पर आंचल डार उनको मुख दिखलाए है जिनसे उसकी प्रीत उनको ही मिलता है वो जो उसके हैं मीत मुंह दिखेलावे और छुपे छल बल है जगदीश