अनुपात से ज्यादा अगर हो जाता है नमक फिर कहाँ जन मनुषों को भाता है नमक हो खड़ा या के चूरा शीघ्र घुल जाता है नमक अस्तित्व में अपने कहाँ टिक पाता है नमक मौसम बदलते ज्यों ही मौका पाता है नमक सोख कर नमी शिला बन जाता है नमक हो ज़रूरत से अधिक तो जहर हो जाता है नमक स्वाद और सम्मान का सूचक कहलाता है नमक आग में तप कर रवि की रंग पाता है नमक उसके बाद ही नमक कहलाता है नमक 🖊: "सरकश" #नमक #salt #sarakash